कोरबा :

एक तरफ शासन प्रशासन शिक्षा व्यवस्था को कैसे बेहतर बनाया जाए इसपर नीत नए नए प्रयोग के दृष्टि से योजनाएं बनाए जा रहे है,तो वहीं अधिकारियों की अनदेखी और ठेकेदारों की कार्य के प्रति लापरवाही शासन प्रशासन की मनसा को धराशाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है । ऐसा ही एक दृश्य बीते दिन पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाॅक के ग्राम गुरसियां में संचालित हाॅयर सेकेेंडरी स्कूल में देखा गया, जहा विगत एक साल पहले स्वामी आत्मानंद स्कूल का दर्जा देकर स्कूल को नवीनीकृत किया गया था । लाखों रूपये लागत से जीर्णोद्वार कर स्कूल को बाहर से तो खूब चमका दिया गया,लेकिन जहां वास्तविकता में कार्य की आवश्यकता थी वहां ठेकेदार एवं प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया साथ ही कार्य प्रगति के वक्त अधिकारियों ने भी छतों की मरम्मत पर ध्यान देना उचित नहीं समझा, जिसके चलते पहली ही बारिश में कक्षा के छत से बरसात का पानी झरने की तरह बहने लगा जिससे कक्षा सहित पूरी स्कूल के अंदर बने परिसर में पानी भर गया है । एक तरफ शासन-प्रशासन के सख्त निर्देश है की किसी सरकारी कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी पर इस तरह के मंजर को देख ऐसा प्रतीत होता है के जमीनी हकीकत कुछ और ही है जो जमीनी स्तर पर जर्जर स्कूलों को सुधारने का दावा को कई जगह खोखला साबित कर रहा है। एक तरफ स्कूल भवन के फर्श पर टाईल्स और दीवारों पर रंग की चमक तो है,लेकिन मूल रूप से जिसे मजबूत बनना था, उस छत से झरने की तरह पानी झर रहा है। ऐसे में चार कमरों वाले विद्यालय में पानी भरने के कारण अध्यापन ठप्प हो गया है। इस पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन ने बताया कि एक साल पहले ही आत्मानंद विद्यालय का दर्जा दिया गया जिसके बाद स्कूल का जीर्णोद्धार के दौरान ठेकेदार ने स्कूल भवन के छत की रिपेयरिंग करना जरूरी नहीं समझा। इसमे ठेकेदार की तो लापरवाही है ही साथ ही स्कूल प्रबंधन की लापरवाही थी की उन्हे मरम्मत कार्य के दौरान छत को मरम्मत करा लेना था साथ ही कार्य की निगरानी करने वाले अधिकारी भी उदासीन रहे और कोई संदेह नहीं कि जीर्णोद्धार के काम भी कमीशनखोरी की भेंट चढ़ी होगी । वैसे सिर्फ यह एक विद्यालय ही नहीं बल्कि जिले में अनेक पुराने/उन्नयित सरकारी भवन, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, दफ्तर, छत्रावास, आवासीय आदि भवनों में छत का टपकना आम बात है । एक तरफ सरकार चाह रही है के प्रदेश में शिक्षा स्तर बेहतर हो जिससे प्रदेश के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर दुनिया भर में प्रदेश का नाम उज्वल करे,वही शिक्षा की मंदिर में ही अगर इस तरह का लापरवाही हो तो क्या आज के भविष्य को उनका मुकाम मिल पाएगाशिक्षा क्षेत्र में बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की सरकार की उम्मीद क्या सफल हो पाएगी ?