कोरबा :

कोरबा जिले के सभी क्षेत्रों में राखड़ की समस्या सदैव बनी हुई है चाहे ग्रीष्म या सित काल की बात हो या वर्षा ऋतु की  राखड़ हवा या पानी के माध्यम से एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इसी तारतम्य में विगत दिनों लगातार बारिश होने से एनटीपीसी कोरबा का धनरास राखड़ बांध अचानक फूट गया जिससे सैकड़ों टन राखयुक्त पानी आसपास के किसानों के खेतों तक जा पहुंचा है जिससे लगभग 50 से अधिक किसानों को नुकसान उठाना पर सकता है। क्योंकि बारिश का मौसम सुरू हो रहा है तो करीब 40 एकड़ खेत में किसान बुआई कर चुके है, जो इस बांध के टूटने से पूरी तरह राखयुक्त हो गया है जिससे अब किसानों की चिंता बढ़ गई है के उनके इस नुकसान का भरपाई करेगा कौन ?


कोरबा के जमनीपाली एनटीपीसी की 2600 मेगावाट क्षमता की विद्युत संयंत्र संचालित है। यहां प्रतिदिन औसतन 40 हजार टन कोयले की खपत होती है। इससे उत्सर्जित होने वाली राख की शत-प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित नहीं हो पाने की वजह से अभी भी राखड़ बांध में पाइप लाइन के माध्यम से राख भेजा जा रहा हैं। स्थानीय किसानों ने आरोप लगाते हुए बताया की धनरास राखड़ बांध में क्षमता से अधिक राख भरा चुका है और अब बांध की ऊंचाई बढ़ाकर राख डंप किया जा रहा हैं। क्षमता से अधिक राख होने की वजह से वर्षा पानी का दबाव तटबंध झेल नहीं सका और उसका एक हिस्सा टूट गया है।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसारबांध के फूटने की वजह से राख का सैलाब पानी के साथ बह कर निकल रहा था जो देखते ही देखते आसपास के खेतों के मेढ़ तक राख पट गया है । अभी कुछ दिनों पहले ही किसानों ने काफी मेहनत कर बोआई की थी। नाराज किसान मुआवजा और एनटीपीसी प्रबंधन पर कार्यवाही की मांग को लेकर राखड़ बांध में ही धरने पर बैठ गए। प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार दर्री जानकी काटले, हल्का पटवारी बाबूलाल कोरवा और जितेन्द्र कुमार क्षतिग्रस्त बांध स्थल पहुंच कर नुकसान हुए खेतों का जायजा लिया। इस दौरान 45 से 50 किसानों का खेत राखड़ से प्रभावित होना पाया गया। क्षेत्र के लोगों को अधिकारियों ने आश्वासन दिया हैं कि यदि प्रबंधन की लापरवाही से यह घटना हुई है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही अवश्य की जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि एनटीपीसी से सभी प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाया जायेगा ।

एनटीपीसी प्रबंधन ने टूटे राखड़ बांध को लेकर दी अजीबोगरीब स्वीकारोक्ति

एनटीपीसी प्रबंधन ने टूटे राखड़ बांध को लेकर अजीबोगरीब स्वीकारोक्ति देते हुए कहा हैं की, उन्होंने स्वयं अपने धनरास राखड़ बांध को तोड़ा था। उनका कहना हैं की अगर राखड़ बांध को नहीं तोड़ा जाता तो उसके फूटने का खतरा था। उन्होंने आगे कहा की इसे ध्यान में रखते हुए एनटीपीसी प्रबंधन को यह कदम उठाना पड़ा है । जानकारी के अनुसार उन्होंने आगे कहा की पिछले चार दिनों से हो रही बारिश की वजह से एनटीपीसी का धनरास राखड़ बांध लबालब हो गया था,जिसे यदि नहीं तोड़ा जाता तो कभी भी तटबंध टूट सकता था, इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए एनटीपीसी प्रबंधन ने बांध को तोड़ने का फैसला लिया। बताया जा रहा है कि डेम के आसपास के 40 एकड़ खेत में राखड़ बह गया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित-जनसंपर्क अधिकारी

एनटीपीसी के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि एनटीपीसी कोरबा का धनरास राखड़ तटबंध पूरी तरह सुरक्षित है। अत्यधिक वर्षा से उत्पन्न आपातकाल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए राखड़ बांध को क्षति से बचाने हेतु पुनर्निर्धारित मार्ग से पानी को निकाला गया है, जिसका कुछ हिस्सा नीचे मौजूद ग्रामीणों के खेतों में भी गया है। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के अधिकारी प्रतिदिन राखड़ तटबंध में मौजूद रहते हैं। घटना के समय भी राखड़ बांध में एनटीपीसी के सभी छह अधिकारी मौजूद थे साथ ही एनटीपीसी प्रबंधन राखड़ बांध के चारों तरफ रहने वाले परियोजना प्रभावित परिवारों के सभी हितों की रक्षा के लिए सतत प्रतिबद्ध है।