कोरबा :
चुनावी नतीजे को देख विपक्ष के रणनीति पर उठे सवाल??

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने देश की जनता को चौंका दिया है। जो परिणाम पूरे देश में देखने को मिला उसे देख यही आकलन लगाया जा सकता है के देश की जनता को चाहिए था बदलाव,जहां मोदी गारंटी से लेकर महतारी वंदन योजना तक ने जनता के भावनाओं को नही बदल सका । जिसके कारण भाजपा की अबकी बार 400 पार का नारा पूरी तरह से विफल हो गया । यही हाल प्रदेश के कोरबा लोकसभा को लेकर भी देखने को मिला ,जहां कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती ज्योत्षना महंत ने 43000 से अधिक मतों से भाजपा प्रत्याशी सुश्री सरोज पांडे को शिकस्त दे दी । चुनावी दौर पर कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती महंत पर विपक्ष पार्टी द्वारा कई आरोप लगाए गए की वे कोरबा लोकसभा क्षेत्र की संसद होते हुए भी वे कोरबा से लापता रही वही यह भी कहा गया के उनके पांच साल के कार्यकाल में कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कोई काम नहीं हुए साथ ही उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार भी खूब फला फूला पर चुनावी परिणाम आने के बाद यह साफ हो गया की यह सारी बातें विपक्ष द्वारा जनता के सामने मात्र चुनावी प्रचार का माध्यम था, जिसे जनता बखूबी समझते हुए अपने अमूल्य मताधिकार का प्रयोग कर उसका प्रतिफल भाजपा प्रत्याशी के हार से दे दिया । वही यदि इस चुनाव परिणाम को देखा जाए तो कोरबा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने जरूर 50000 मतों से बढ़त बनाई जो उस क्षेत्र के कुछ जुझारू कार्यकर्ताओ की देन रही, पर कोरबा विधानसभा से संबंधित इतने बड़े बड़े प्रदेश स्तर के जनप्रतिनिधियों के होते हुए भी कोरबा विधानसभा क्षेत्र जो की ज्यादातर भाग शहरी क्षेत्रों में आता है ने भाजपा प्रत्याशी को मात्र 50000 की मिली बढ़त के बाद भी हार से नही बचा पाई,जबकि पिछले चार माह से प्रदेश एवं कोरबा विधानसभा में भाजपा की सरकार है । चुनावी प्रचार प्रसार के समय भाजपा के कई बड़े बड़े स्टार प्रचारक भी चुनावी सभा को संबोधित किया पर उनके द्वारा प्रचार करने के बाद भी उनकी आवाज जनता के दिलों तक नहीं पहुंच सकी ,वहीं कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदाशीनता के चलते भी कोरबा लोकसभा क्षेत्रों से भाजपा प्रत्याशी के कड़े मेहनत और जनसंपर्क करने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा,जबकि यहां बताना लाजमी होगा देश के गृहमंत्री ने भी जन सभा में कोरबा लोकसभा सीट को लेकर बहुत बड़ी बात कही थी पर शायद उनकी बात को जनप्रतिनिधि नही समझ पाए  । अब कोरबा लोकसभा के चुनावी परिणाम आने के बाद बड़े और प्रदेश स्तर के दिग्गज नेता के मौजूदगी में बनी चुनावी रणनीति पर सवालिया निशान लग गया है के, क्या वाकई जो रणनीति बनाई गई थी वह जीत के लिए थी ??